
अगर आपको लगता है कि सिर्फ ब्राह्मण घर में जन्म लेना ही पंडित बनने की गारंटी है, तो कृपया आगे पढ़िए – यह लेख आपके लिए ही लिखा गया है। ‘पंडित’ शब्द संस्कृत के पण्ड् धातु से बना है, जिसका अर्थ होता है: जानना, समझना, विश्लेषण करना। यानी ‘पंडित’ वो होता है, जो ज्ञान से पंडित है – जन्म से नहीं।
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ब्राह्मण होना = जाति
पंडित होना = ज्ञान
ब्राह्मण एक सामाजिक वर्ण है जो परंपरागत रूप से अध्ययन और शिक्षा से जुड़ा रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर ब्राह्मण पंडित हो। ठीक वैसे ही जैसे हर पंजाबी सिंगर नहीं होता, और हर गुजराती व्यापारी नहीं।
‘जन्मजात पंडित’ – क्या यह कोई सुपरपावर है?
हमारे खानदान में तो सात पीढ़ियों से सब पंडित हैं! वाह जी वाह! तो क्या आपने भी बिना पढ़े, सिर्फ खानदानी डिग्री से पंडिताई प्राप्त कर ली?
सवाल ये नहीं कि आप कौन-सी जाति से हैं… सवाल ये है कि आपने आख़िरी बार कोई किताब कब पढ़ी थी?
पंडित बनो, लेकिन वाकई ज्ञान से!
जो लोग सोशल मीडिया पर सिर्फ “पंडित जी बोले” टाइप बायो लगाकर स्वयं को शंकराचार्य समझ बैठे हैं – उनके लिए सुझाव है कि अगली बार ‘ज्ञान यज्ञ’ में हिस्सा लें, इंस्टाग्राम स्टोरी में नहीं।
ज्ञान की दुकान खोलने से पहले, अंदर स्टॉक देख लें
इस देश में ‘पंडित’ बनने की कीमत किताबों से चुकानी पड़ती है, जन्म प्रमाणपत्र से नहीं। इसलिए अगली बार जब कोई कहे – “हम ब्राह्मण हैं, इसलिए पंडित हैं”, तो बस मुस्कुरा कर पूछिए – “तो क्या गीता आपने पढ़ी है, या सिर्फ सोशल मीडिया पर शेयर की है?” जाति से ब्राह्मण हो सकते हैं, लेकिन पंडित बनने के लिए किताबें पढ़नी पड़ती हैं – और वो भी सिर के नीचे रखकर नहीं, सिर के अंदर भरकर।
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पंडित का मतलब केवल जाति या वंश से नहीं, बल्कि ज्ञान, विद्वता और विद्या के बल पर होता है। भारत के इतिहास और वर्तमान में ऐसे अनेक महान लोग हुए हैं जिन्होंने भले ही ब्राह्मण कुल में जन्म नहीं लिया, लेकिन वे ‘पंडित’ के रूप में सम्मानित हुए — और पूरी श्रद्धा से।
यहाँ कुछ प्रमुख नामों की सूची है:
1. पंडित मदन मोहन मालवीय
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जाति: कायस्थ
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उपाधि क्यों मिली: बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्थापक, संस्कृत, धर्म और शिक्षा के गहरे ज्ञाता।
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‘पंडित’ उपाधि: उनके भाषण, संस्कृत ज्ञान और हिंदू धर्मशास्त्रों की पकड़ के कारण दी गई।
2. पंडित हरिप्रसाद चौरसिया
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जाति: ओबीसी (चौरसिया समुदाय)
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उपाधि क्यों मिली: विश्वविख्यात बांसुरी वादक।
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‘पंडित’ उपाधि: संगीत क्षेत्र में अपार योगदान के कारण, उन्हें ‘पंडित’ की उपाधि दी गई।
3. पंडित भीमसेन जोशी
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जाति: कर्नाटक के देशस्थ मराठा
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उपाधि क्यों मिली: भारतीय शास्त्रीय संगीत में अमूल्य योगदान।
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‘पंडित’ उपाधि: संगीतज्ञों द्वारा सम्मानसूचक।
4. पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर
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जाति: मराठा (ब्राह्मण नहीं)
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उपाधि क्यों मिली: हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के महान प्रचारक, गंधर्व महाविद्यालय के संस्थापक।
5. पंडित कुमार गंधर्व
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जाति: दत्त समाज (ब्राह्मण वर्ण से बाहर)
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उपाधि क्यों मिली: संगीत में नयी शैली और प्रयोगों के लिए प्रसिद्ध।
6. पंडित जसराज
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जाति: वैश्य
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उपाधि क्यों मिली: मेवाती घराने के महान गायक।
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‘पंडित’ उपाधि: उनके संगीत साधना और विद्वता के लिए।
8. पंडित रविशंकर
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जाति: बंगाली कायस्थ
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उपाधि क्यों मिली: सितार के सम्राट, भारतीय संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।
9. पंडित रामनारायण
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जाति: मारवाड़ी व्यापारी परिवार
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उपाधि क्यों मिली: सारंगी वादन को सम्मान दिलाने वाले पहले व्यक्ति।